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जिसके हाथ में होगी लाठी

MERA DESH
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पुराणी पिक्चर ” गोपी; का एक गाना आज के हालात पर मुझे सटीक लग रहा है ,कुछ पंक्तियाँ उस की इस प्रकार हैं | हे रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा ,हंस चुगेगा दाना तुनका कौवा मोती खायेगा |मंदिर सूने -सूने होंगे भरी रहेंगी मधुशाला |राजा और प्रजा दोनों में होगी निस दिन खींचांतानी ,कदम-कदम पर करेंगे दोनों अपनी-अपनी मनमानी |अरे जिसके हाथ में होगी लाठी भैंस वही ले जायेगा i सीते बोलीं ” प्रभु क्या कलयुग में धरम -करम नहीं होगा ? प्रभु बोले धरम भी होगा करम भी होगा परन्तु शर्म नहीं होगी | जैसा हठ व् बेशर्मी ये मोजुदा सरकार दिखा रही है ,न भाषा पर नियंत्रण न उम्र का आदर भाव इसको देख कर चीन के थियानमन चौक की याद आ रही है |

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